इस एक चीज के बिना अधूरी मानी जाती है चैत्र नवरात्रि, पहले जान लें क्या है वह?
इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल से हो रही है. मान्यता है कि इस दौरान विधि पूर्वक माता की आराधना से हर मनोकाना की पूर्ति होती है.
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की उपासना करने से हर मनोकामना की पूर्ति होती है. इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल, शनिवार से हो रही है. घटस्थापना, शनिवार के दिन होगी और नवरात्रि का समापन 11 अप्रैल को होगा. माना जाता है कि नवरात्रि की अवधि में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ सर्वोत्म है. दुर्गा सप्तशती का पाठ तभी सफल होता है शापोद्धार का पाठ किय़ा जाता है. ऐसे में जानते हैं कि आखिर क्यों शापोद्धार का पाठ करना जरूरी है? और किस तरह से पाठ करना सही माना गया है.
शापोद्धार के बिना अधूरा है दुर्गा सप्तशती का पाठ
शास्त्रों के मुताबिक दुर्गा सप्तशती के पाठ में कवच, अर्गला और कीलक स्तोत्र से पहले शापोद्धार का पाठ करना अनिवार्य है. दुर्गा सप्तशती के सभी मंत्र ब्रह्मा, वशिष्ठ और विश्वामित्र ऋषि द्वारा शापित हैं. यही कारण है कि शापोद्धार पाठ के बिना दुर्गा सप्तशती के पाठ का फल नहीं मिलता है.
कैसे करें सप्तशती का पाठ?
अगर एक दिन में संपूर्ण पाठ करना संभव ना हो तो पहले दिन सिर्फ मध्यम चरित्र का पाठ कर सकते हैं. वहीं दूसरे दिन बचे हुए चरित्रों का पाठ किया जा सकता है. इसके अलावा एक अन्य विकल्प यह भी है कि पहले दिन अध्याय एक का पाठ, दूसरे दिन दूसरे अध्याय का 2 आवृत्ति पाठ, तीसरे दिन चतुर्थ अध्याय का एक आवृत्ति पाठ, चौथे दिन 5वें, छठे, 7वें, और 8वें अध्याय का पाठ, पांचवें दिन 9वें और 10 वें अध्याय का पाठ, छठे दिन 11वें अध्याय का पाठ, और 7वें दिन 12वें और 13वें अध्याय का पाठ कर सकते हैं. इस तरह से 7 दिन में दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण पाठ कर सकते हैं.
दुर्गा सप्तशती के पाठ में नवार्ण मंत्र का भी विशेष महत्व है. पाठ शुरू करने से पहले और बाद में “ओम् ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे” इस मंत्र का जाप करना जरूरी होता है. ऐसे में पाठ करने वाले को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए.